नरेंद्र मोदी के सामने कौन? विपक्षी एकता में बाधा बन सकती हैं ये 3 चुनौतियां

नई दिल्ली

2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दल 23 जून को पटना में एकजुट हो रहे हैं लेकिन उनके सामने तीन चुनौतियां कायम हैं, जिनका समाधान तलाश करने के लिए उन्हें लंबी कवायद करनी पड़ेगी। विपक्षी खेमे से जुड़े एक नेता ने कहा कि तीन प्रमुख मुद्दे हैं जिनका समाधान जल्दी निकाल पाना मुश्किल है। एक सीट पर विपक्ष के एक उम्मीदवार उतारने पर दलों के बीच कई राज्यों में सहमति बनना मुश्किल है क्योंकि जो दल लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ एक साथ आने को तैयार हैं, वह विधानसभा चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं। विपक्ष शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना आदि में यह समस्या ज्यादा गंभीर है।

दूसरी चुनौती ज्यादा से ज्यादा विपक्षी दलों को जोड़ने की है। कुल 16 दलों ने अब तक बैठक में शामिल होने की सहमति प्रकट की है जबकि संभावित दलों की संख्या 21 आंकी गई है। अभी भी कई दल हैं जो भाजपा के साथ नहीं हैं लेकिन वह इस बैठक में आने को तैयार नहीं हैं। इनमें बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और बीआरएस प्रमुख रूप से शामिल हैं। हालांकि बीआरएस को लेकर उम्मीद है कि वह देर-सवेर विपक्षी एकता के साथ खड़ी होगी। इसके लिए प्रयास भी चल रहे हैं। लेकिन बीजद और वाईएसआर कांग्रेस आगे भी विपक्षी गठजोड़ से दूरी बनाए रख सकते हैं। हालांकि यह उम्मीद है कि दोनों दल चुनाव के बाद हालात अनुकूल होने पर अन्य रूप में समर्थन दे सकते हैं। इसके अलावा एमआईएम जैसे कुछ छोटे दल भी हैं जो विपक्ष के साथ खड़े नहीं होंगे।

मोदी के सामने कौन?
इसके अलावा विपक्षी दल लगातार इस बात पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं कि वे किसी को भी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करेंगे। क्योंकि ऐसा करने से एकजुटता में अड़चन पैदा हो सकती है। जद (यू) की तरफ से भी लगातार यह कहा जा रहा है कि नीतीश पीएम के दावेदार नहीं हैं। शरद पवार ने भी बिना चेहरे के मैदान में उतरने की पैरवी की है। लेकिन कुछ जानकार बिना चेहरे के मोदी के खिलाफ विपक्ष की इस रणनीति को कमजोर मान रहे हैं। बेतहर स्थिति यही बनती है कि विपक्ष एक दमदार चेहरा सामने लाए। लेकिन इस पर विपक्ष के बीच सहमति बनना आसान नहीं दिख रहा है।

युवाओं और मुस्लिमों पर नजर
सूत्रों की मानें तो 23 जून की बैठक में उपरोक्त विषयों पर तो चर्चा होगी ही, साथ में इसमें युवा वर्ग तक सोशल मीडिया के जरिये पहुंच बनाने के लिए रणनीति पर चर्चा, अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम मतदाताओं को साधने की योजना पर भी चर्चा होगी कि कैसे राष्ट्रीय दल ही भाजपा से मुकाबला करने में समक्ष हैं।

 

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