ऑपरेशन मानसून में सुरक्षाबलों ने 3 साल में मार गिराए 36 माओवादी

जगदलपुर
 बस्तर में बारिश का मौसम पुलिस के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। बीते 3 सालों में पुलिस ने ऑपरेशन मानसून के जरिए माओवादियों को नुकसान पहुंचाने में ज्यादा कामयाबी हासिल की है। 3 सालों में करीब 36 माओवादी कैडर सिर्फ बस्तर इलाके में मारे गए हैं और इसकी वजह मानी जा रही है पुलिस स्पेशलाइज ट्रेनिंग।

अंदरूनी इलाकों में पहुंचने लगी है फ़ोर्स

 स्पेशलाइज ट्रेनिंग की वजह से बारिश के दौरान भी जंगल के अंदरूनी इलाकों में फोर्स आसानी से पहुंचने लगी है। जहां पहले पहुंचने में मुश्किल होती थी बारिश के दौरान माओवादी कैडर सीमित संख्या में कैंप करता है और इसका फायदा पुलिस फोर्स को मिलता है। लंबी दूरी तय करने में माओवादियों को बारिश के दौरान मुश्किल होती है, लेकिन पुलिस सूचना मिलने पर उन जगहों पर पहुंचकर ऑपरेशन को अंजाम दे रही है। सुकमा इलाके में इसी तरह से 3 नक्सल कैंपों को ध्वस्त करते हुए पुलिस ने काफी सामान भी बरामद किया है।

माओवादियों ने जारी किया प्रेस नोट

माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर हाल ही में इस बात का भी खुलासा किया है कि बीते एक साल में 90 की संख्या में माओवादी कैडर की मौत हुई है हालांकि यह आंकड़ा दूसरे क्षेत्रों का भी है। बस्तर की बात करें तो दक्षिण बस्तर में 30 माओवादी कैडर बीते साल मारे गए हैं और इस बार सीमावर्ती राज्यों के साथ मिलकर पुलिस ने ऑपरेशन मानसून का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है।

आईजी सुंदर्राज पी ने कही ये बात

  लिहाजा सीमावर्ती राज्यों में भी कई ऑपरेशन संचालित किए जाएंगे तेंदूपत्ता का सीजन खत्म होने के बाद अक्सर दूसरे क्षेत्रों में पदस्थ माओवादी कैडर भी अपने खेतों में काम करने के लिए बस्तर में आते हैं। यह मौका उन्हें गिरफ्त में लेने के लिए भी उपयोगी होता है। बस्तर आईजी सुंदर्राज पी का कहना है कि इसे ध्यान में रखते हुए गांव गांव में मॉनिटरिंग की जा रही है। जिससे सिर्फ एनकाउंटर ही नहीं बल्कि माओवादियों के गिरफ्तारी भी की जा सके।

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