प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती परीक्षा को लेकर शुरू हुआ विरोध

जयपुर

राजस्थान में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती को लेकर विवाद शुरू हो गया है। प्रदेशभर में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग द्वारा 787 पदों पर चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती निकाली गई थी। जिसमें मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों का सिलेक्शन किया जाना था। लेकिन जनरल (ओपन – अनरिजर्व) कैटेगरी में सिलेक्शन नहीं होने पर अन्य (रिजर्व) कैटेगरी के उम्मीदवारों ने विरोध शुरू कर दिया है।

चिकित्सा अधिकारी भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाली उम्मीदवार मनीषा चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा कुल 787 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इनमें अनरिजर्व कैटिगरी के कुल पदों में 314 नंबर तक सामान्य महिलाओं को सिलेक्शन किया है। लेकिन इससे ज्यादा नंबर लाने वाली ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी की महिला उम्मीदवारों को अनरिजर्व कैटिगरी में शामिल नहीं किया गया।

जिसकी वजह से ओबीसी की 39 और ईडब्ल्यूएस की 10 सीटों पर इसका प्रभाव पड़ा है।लेकिन प्रोविजनल रिजल्ट में आयुर्वेद विभाग ने जनरल कैटेगरी में सिर्फ जनरल महिला उम्मीदवारों का ही सिलेक्शन किया है। जो पूरी तरह गलत है।

मनीषा ने कहा कि आयुर्वेद विभाग की इस गलती की वजह से रिजर्व कैटेगरी के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव हो रहा है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर आयुर्वेद विभाग ने रिजल्ट को फिर से रिवाइज नहीं किया। तो सरकार के खिलाफ उम्मीदवार और उनके परिवार मिलकर बड़ा विरोध करेंगे।

मनीषा ने बताया कि राजस्थान सरकार के आयुर्वेद विभाग ने कुल 787 पदों पर वैकेंसी निकली थी। इसके बाद आयुर्वेद विभाग ने मेरिट और बोनस अंकों के आधार पर सिलेक्शन प्रक्रिया में सामान्य पुरुष के पदों पर तो सभी कैटेगरी के उम्मीदवारों का सिलेक्शन किया है। लेकिन सामान्य महिला के पदों पर सिर्फ सामान्य श्रेणी की महिला उम्मीदवार को ही सिलेक्ट किया है।

जिससे बढ़िया नंबर लाने के बावजूद भी रिजर्व कैटेगरी की महिला उम्मीदवारों को सामान्य कैटेगरी में जगह नहीं मिल पाई है। आयुर्वेद विभाग की इस लापरवाही की वजह से रिजर्व कैटिगरी में महिलाओं की सीटें कम हो गई है। जिसे कई योग्य महिलाओं उम्मीदवारों का सिलेक्शन नहीं हो पाया है।

इसी तरह की समस्या यूनानी और होम्योपैथिक आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती में की गई है। जिसको लेकर लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है। हालांकि इस पूरे मामले को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फिलहाल चुप्पी साथ रखी है। जब इस पूरे मामले को लेकर हमारी टीम ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से संपर्क की कोशिश की तो उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button