पटवारी नहीं मान रहे हैं एस्मा,हड़ताल जारी

रायपुर

लंबे समय से हड़ताल पर बैठे पटवारी नवा रायपुर के धरना स्थल पर अभी भी डटे हुए और कल जारी एस्मा की प्रति जलाते हुए कह रहे हैं कि वे आरपार की लड़ाई लडऩे तैयार हैं जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। इधर एस्मा लगाया जाना मतलब उनका कार्य अत्यावश्यक सेवा के दायरे में आ गया है,शासकीय सेवकों की नियमावली के तहत ऐसी स्थिति में हड़ताल छोड़कर काम पर लौटना ही पड़ेगा अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासात्मक कार्रवाई हो सकती है,अब देखिए आगे होता है क्या?

इधर वैकल्पिक तौर पर पटवारियों के काम को करने के लिए संभावनाएं भी तलाशा जा रहा है आरआइ व तहसीलदार वे काम करें. लेकिन वे भी काम करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। कुछ उलझने तो भारी पड़ सकती है जैसे डीएससी रिकार्ड सिर्फ पटवारी के पास ही होता है। दुरुस्ती के बाद डीएससी रिकार्ड पटवारी के पास रहता है, जो कि वही कर सकते हैं। ऐसे में अगर डीएससी रिकार्ड को लाक कर तहसीलदारों को यह काम दिया जाएगा, तो नियंत्रण और पर्यवेक्षण का काम भी नहीं हो पाएगा। यानी कि तहसीलदार अपनी मर्जी से ही कार्य करेगा, फिर सही और गलत जांचने की भी संभावना नहीं रहेगी।

बताया जा रहा है कि प्रदेशभर में राजस्व न्यायालयों में लगभग 1.40 लाख मामले लंबित हैं। जिसमें सर्वाधिक मामले रायपुर जिले में 8,262 मामले हैं। वहीं, 22 जिले ऐसे हैं जहां तीन हजार से ज्यादा मामले लंबित चल रहे हैं। इसके अलावा सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर में हजार से भी कम मामले लंबित पड़े हुए हैं। इनके अलावा और भी कार्य प्रभावित हो रहे हैं जिस पर स्वंय मुख्यमंत्री ने गहरी नाराजगी जताई है।

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