छोटे उद्योगों के भुगतान के प्रकरणों के निराकरण के लिए बनाए गए फेसिलिटेशन काउंसिल की कार्य-प्रणाली से अनेक राज्य प्रभावित

4 राज्यों के बाद अब छत्तीसगढ़ का दल शुक्रवार को अध्ययन करेगा

भोपाल

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के शासकीय कार्यालयों में लंबित भुगतानों के विवादों के निपटारे के लिए बनाए गए फेसिलिटेशन काउंसिल की पारदर्शी कार्य-प्रणाली से उद्यमियों को हुए फायदे के बाद अनेक राज्य इसे अपने राज्य में लागू कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य का 5 सदस्यीय दल भी शुक्रवार को भोपाल आएगा और कार्यवाही के लिए नियत बैठक में हिस्सा लेकर प्राधिकरण की रीति-नीति का अध्ययन करेगा।

उद्योग आयुक्त एवं एमएसएमई विभाग के सचिव पी. नरहरि इस फेसिलिटेशन काउंसिल के अध्यक्ष हैं और इसमें 2 – 2 शासकीय तथा अशासकीय सदस्य हैं।  काउंसिल की हर माह दो बैठक होती हैं। फेसिलिटेशन काउंसिल में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमों के लंबित भुगतान के प्रकरण दायर होते हैं, जिनमें बाकायदा तारीख पर सुनवाई होती है। प्रकरणों के लिए न ही कोई आवेदन शुल्क और न ही कोई फीस ली जाती है।

काउंसिल की अब तक हुई 37 बैठक में 978 प्रकरणों को सुना गया है। इनमें से 637 का निराकरण कर उद्यमियों के पक्ष में 56 करोड़ 24 लाख 88 हजार से अधिक रूपये की राशि के अवार्ड भी पारित किए गए हैं। कुल 82 प्रकरणों में समझौता हुआ और निराकृत प्रकरणों का प्रतिशत 65 से अधिक है। काउंसिल अवार्ड मामलों में कलेक्टर को राजस्व वसूली प्रकरणों के रूप में दर्ज करवा कर भुगतान भी करवाती है।

फेसिलिटेशन काउंसिल की कार्य-प्रणाली से प्रदेश के अन्य राज्यों ने भी प्रेरणा ली है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तथा गुजरात जैसे बड़े राज्यों के दलों द्वारा प्रणाली के अध्ययन के बाद उसे अपने राज्यों में लागू किया गया है।  

 

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