लोकमान्य तिलक भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ‘तिलक’ हैं : प्रधानमंत्री मोदी

पुणे
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि लोकमान्य तिलक हमारे स्वतंत्रता इतिहास के माथे के तिलक हैं।

प्रधानमंत्री को आज महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस पुरस्कार का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री ने पुरस्कार राशि को नमामि गंगे परियोजना को दान की है।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए लोकमान्य तिलक को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यह उनके लिए एक विशेष दिन है। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक और समाज सुधारक अन्ना भाऊ साठे दोनों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हुए कहा, "लोकमान्य तिलक जी तो हमारे स्वतंत्रता इतिहास के माथे के तिलक हैं, साथ ही अन्ना भाऊ ने भी समाज सुधार के लिए जो योगदान दिया, वो अप्रतिम है, असाधारण है। मैं इन दोनों ही महापुरुषों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।"

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी, चापेकर भाई, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की भूमि को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने दगडूशेठ मंदिर में पूजाअर्चना कर आशीर्वाद लिया था।

कार्यक्रम उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए एक यादगार पल है। मुझे लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार देने के लिए मैं हिंद स्वराज संघ और आप सभी को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि "मैं आज मिली पुरस्कार राशि को नमामि गंगे परियोजना को समर्पित करना चाहता हूं।" उन्होंने कहा, "लोकमान्य तिलक में युवा प्रतिभाओं को पहचानने की अद्वितीय क्षमता थी, वीर सावरकर इसका एक उदाहरण थे।" उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका, उनके योगदान को चंद घटनाओं और शब्दों में समेटा नहीं जा सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि अगर हम किसी सड़क का नाम किसी विदेशी आक्रमणकारी के नाम से बदलकर किसी प्रसिद्ध भारतीय व्यक्तित्व के नाम पर रख दें तो कुछ लोग इस पर आवाज उठाने लगते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवस्था निर्माण से संस्था निर्माण', 'व्यवस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण', 'व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण' की दृष्टि राष्ट्र निर्माण के लिए एक रोडमैप की तरह काम करती है। भारत आज इस रोडमैप का पूरी लगन से पालन कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जो जगह, जो संस्था सीधे तिलक जी से जुड़ी रही हो, उसके द्वारा लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं इस सम्मान के लिए हिंद स्वराज्य संघ और आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें जब कोई अवार्ड मिलता है, तो उसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ती है। और जब उस अवार्ड से तिलक जी का नाम जुड़ा हो, तो दायित्वबोध और भी कई गुना बढ़ जाता है। मैं लोकमान्य तिलक नेशनल अवॉर्ड 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित करता हूं।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने धारणा बनाई थी कि भारत की आस्था, संस्कृति, मान्यताएं, ये सब पिछड़ेपन का प्रतीक हैं। लेकिन तिलक जी ने इसे भी गलत साबित किया। इसलिए भारत के जनमानस ने न केवल खुद आगे आकर तिलक जी को लोकमान्यता दी, बल्कि लोकमान्य का खिताब भी दिया। इसीलिए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा।

 

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button