वर्षा जल सहेजने की परम्परा को पुनर्जीवित करेगा कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान

जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर वर्षाजल सहेजने की परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू किया गया “कर्मभूमि से मातृभूमि“ अभियान प्रदेश में भूजल स्तर की गिरावट को रोकने में महती भूमिका निभायेगा जिसके तहत राज्य सरकार भामाशाहों और प्रवासी राजस्थानियों को साथ लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं का निर्माण करेगी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह अभियान जल संचयन में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनूठी संकल्पना “कैच द रेन" से प्रेरित है। गत अक्टूबर में सूरत में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने ’जन्मभूमि से कर्मभूमि-जल संचय- जनभागीदारी- जनआंदोलन’ कार्यक्रम की रूपरेखा रखी थी। शुरुआती स्तर पर इस अभियान के तहत सिरोही, पाली, जोधपुर, भीलवाड़ा, झुंझुनूं और जयपुर जिलों में कार्य प्रारम्भ किए गए हैं।
अन्य प्रदेशों को अपनी कर्मभूमि बना चुके प्रवासी राजस्थानी व्यवसायी, उद्यमी एवं अन्य अग्रणी लोगों को जोड़कर भावनात्मक रूप से प्रेरित करते हुए राजस्थान में अपने गांव में जल संरक्षण गतिविधियों में शामिल होकर वर्षा जल संचयन और जल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
स्थानीय भामाशाहों के अलावा प्रवासी राजस्थानी क्राउड फंडिंग के माध्यम से और कॉरपोरेट्स सीएसआर फंडिंग के माध्यम से इस अभियान के तहत रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं के निर्माण में सहयोग दिया जा सकता हैं।
उल्लेखनीय है कि भूजल पर अत्यधिक निर्भरता के कारण 216 पंचायत समितियां यानी प्रदेश का 72 प्रतिशत भाग अतिदोहित श्रेणी में आ गया है, जिसमें भूजल की गुणवत्ता भी खराब हुई है। इस अभियान से भूजल स्तर में गिरावट रोकने के साथ-साथ घरेलू उपयोग तथा कृषि कार्यों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। अभियान में पर्यावरण अनुकूल रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं से व्यर्थ बह जाने वाले वर्षा जल और भाप बन कर उड़ जाने वाले सतही जल की एक-एक बूंद के संचय, संग्रहण एवं पुर्नभरण पर बल दिया जाएगा।

 

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button