पद्म पुरस्कारों की तर्ज पर दिया जाएगा ‘भारत का नोबेल’, लग सकता है एक साल का ब्रेक

 नई दिल्ली

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने सोमवार को 2022 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है। इस बार 12 वैज्ञानिकों को यह प्रतिष्ठिक पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुस्कार युवा वैज्ञानिकों को दिया जाता है। हालांकि संभव है कि इस फॉर्मेट में यह आखिरी पुरस्कार हो। सराकर एसएसबी पुरस्कारों में भी पद्म पुरस्कार की तर्ज पर बड़ा परिवर्तन कर सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार इन एसएसबी पुस्कारों की गाइडलाइन, फॉर्मेट और नॉमिनेशन सिस्टम में बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि 2024 से इन पुरस्कारों में नए सिस्टम की शुरूआत होगी। अब तक 2023 के पुरस्कारों की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। ऐसे में संभव है कि एक साल पुरस्कार रोक दिए जाएं और 2024 से नए रूप में इनकी शुरुआत की जाए।

बता दें कि इन पुरस्कारों को भारत के नोबेल के तौर पर भी जाना जाता है। सीएसआईआर के फाउंडर डायरेक्टर शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर इसे हर साल युवा वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिसमें प्रसस्ति पत्र के साथ पांच लाख रुपये शामिल होते हैं। फिलहाल सात कैटिगरी में ये पुरस्कार दिए जाते हैं जिनमें बायोलॉजिकल साइंसेज, केमिकल साइंसेज, अर्थ, एटमॉस्फेयर, ओशन और प्लैनेटरी साइंसेज शामिल हैं। आम तौर पर हर साल 12 से 14 वैज्ञानिकों को यह दिया जाता है।

उम्मीद है कि इन पुरस्कारों में एआई समेत कुछ नए फील्ड भी जोड़े जाएं। पुरस्कार और पुरस्कार प्राप्त करने वालों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। अब तक इन पुरस्कारों को लेकर सारे फैसले सीएसआईआर ही करता था। हालांकि अब इसमें भी परिवर्तन हो सकता है। इसमें सरकार का दखल बढ़ सकता है। हो सकता है कि नेशनल अवॉर्ड पोर्टल पर ही इसके लिए भी नॉमिनेशन किया जाए। बहुत सारे वैज्ञानिकों को इससे आपत्ति भी है क्योंकि उनका मानना है कि केंद्र सरकार पुरस्कार के पूरे इकोसिस्टम को बदलना चाहती है।

 

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button