छत्तीसगढ़ की बोली पर साहित्य के संरक्षण व संवर्धन पर वैचारिक परिचर्चा

रायपुर

प्रभा खैतान फाउंडेशन आखर छत्तीसगढ़ के माध्यम से रविवार को राजभाषा छत्तीसगढ़ी और अन्य आंचलिक बोली (जैसे- सरगुजिहा, हल्बी, गोंडी, कुडुक, सदरी) के साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन पर वैचारिक परिचर्चा न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हाल में आयोजित किया गया है।

पत्रकार वार्ता में आनंदित्ता चटर्जी व सुधीर पाठक ने बताया कि छत्तीसगढ़ की 15 से अधिक बोली-भाषाओं पर केंद्रित इस संगोष्ठी में 7 सत्र होंगे जिनमें सरगुजा से लेकर बस्तर की बोली-भाषा के साथ ही छत्तीसगढ़ी कविता-कहानी, युवा लेखन और सोशल मीडिया पर केंद्रित 7 पैनल डिस्कशन होंगे, जिसमें 30 से अधिक साहित्यकार और 10 से अधिक छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार शिरकत करेंगे। कार्यक्रम के अलग-अलग सत्र में छत्तीसगढ़ के साहित्य, कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन पर चर्चा की जाएगी।

रामनामी समाज द्वारा राम भजन की प्रस्तुति एवं पद्मश्री उषा बारले सहित अन्य सुप्रसिद्ध लोक कलाकारों की प्रस्तुति होगी। मशहूर पण्डवानी गायक चेतन देवांगन की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन होगा। कार्यक्रम में पद्मश्री सम्मानित डॉ. भारतीबंधु, मदन चौहान, उषा बारले एवं संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित काशीराम साहू विशेष रुप से उपस्थित रहेंगे।

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