कैसे होगा चुनावी काम, जून में है सबसे ज्यादा कर्मचारियों का रिटायरमेंट, कलेक्टर परेशान

भोपाल

रिटायर हो रहे कर्मचारियों के चलते चुनावी साल में मुश्किलें बढ़ती नजर आने लगी है। तहसील और राजस्व कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी का असर दिखने लगा है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा मांगी जा रही जानकारी सहायक रिटर्निंग अधिकारी और तहसीलदार समय पर उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। आलम यह है कि कई जिलों में जानकारी भेजने की व्यवस्था अब आॅपरेटरों के भरोसे है जिससे जानकारी भेजने में देरी हो रही है।

चुनाव का समय नजदीक आने के साथ प्रदेश में रिटायर होते कर्मचारियों के कारण होने वाली परेशानी बढ़ने लगी है। इसका असर जिलों में तहसील और राजस्व अनुविभागीय कार्यालयों में साफ दिखाई देने लगा है जहां चुनाव से संबंधित सर्वाधिक काम होते हैं। स्थिति यह हो गई है कि कर्मचारियों की कमी के चलते कई जिलों में विधानसभा क्षेत्रों की जानकारी मांगे जाने पर सहायक रिटर्निंग अधिकारी और तहसीलदार तथा राजस्व अनुविभागीय अधिकारी व रिटर्निंग अधिकारी समय पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को जानकारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। इससे कलेक्टरों को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब कलेक्टर दूसरे विभागों के कर्मचारियों की तलाश कर चुनाव आयोग द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी समय पर भेजने की व्यवस्था शुरू कर रहे हैं।

विधानसभा निर्वाचन 2023 के लिए महाकौशल, विंध्य, मालवा और मध्यभारत के कई जिलों के कलेक्टर स्टाफ की कमी से परेशान हैं। कर्मचारियों और अधिकारियों के रिटायरमेंट के कारण अमले की कमी से कलेक्टरों को जूझना पड़ रहा है। सबसे अधिक दिक्कत जिलों के अनुविभागीय अधिकारी एवं निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी तथा तहसीलदार एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को रही है। इनके द्वारा तहसील में पदस्थ कानूनगो को निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के निर्देशों की गार्ड फाइल तथा अन्य फाइलों के काम सौंपे जा रहे हैं ताकि रोज ईमेल तथा वॉटसएप के माध्यम से प्राप्त होने वाले आयोग के दिशा निर्देश एवं वरिष्ठ कार्यालय के पत्रों पर त्वरित कार्यवाही कर जवाब भेज सके।

जून में रिटायर हुए हैं हजारों अधिकारी कर्मचारी
प्रदेश में जून महीने में सबसे अधिक अधिकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं। चुनाव की प्राथमिकता स्थिति को देखते हुए कई जगहों पर कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त देने की कोशिश भी की गई लेकिन अगले 4 महीने में तनाव की स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों ने संविदा पर काम करने के प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं की है, इसलिए स्टाफ की कमी निर्वाचन के काम में परेशानी की वजह बन रही है।

कानूनगो नहीं ले रहे चुनाव काम में रुचि, आपरेटर के भरोसे चल रहे काम
बताया जाता है कि तहसीलों में कानूनगो निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कानूनगो सारा काम सहायक प्रोग्रामर एवं आॅपरेटरों के भरोसे छोड़ देते हैं जिससे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को समय पर जानकारी भेजने में देरी हो रही है। ऐसे में कलेक्टरों द्वारा विधानसभा निर्वाचन 2023 के कार्यों को दृष्टिगत रखते हुये स्टाफ एवं संसाधन की कमी होने पर अन्य किसी भी विभाग से कर्मचारियों को संलग्न करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय कार्यक्रम की अनदेखी किये जाने के पर संबंधित के विरुद्ध सस्पेंशन कार्यवाही भी की जा रही है।

पीआरसी के आदेश, एक तारीख को मिले कर्मचारियों को वेतन
प्रमुख राजस्व आयुक्त ने सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा है कि कर्मचारियों को एक तारीख को वेतन मिलना चाहिए। इसी माह जारी आदेश में कहा गया है कि पूर्व में भी यह निर्देश थे कि हर माह की पहली तारीख को तहसीलों, राजस्व अनुविभागीय कार्यालयों और कलेक्ट्रेट में पदस्थ कर्मचारियों वेतन मिलना सुनिश्चित करना है। इसको लेकर कुछ जिलों में शिकायत आई है कि वेतन मिलने में विलंब हो रहा है। इसलिए कलेक्टर हर माह की पहली तारीख को वेतन दिलाना सुनिश्चित करें ताकि अगले माह से शिकायतें नहीं आएं।

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