मोदी सरनेम केस में 4 अगस्त को सुनवाई, SC ने गुजरात सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने 10 दिनों में जवाब देने के लिए भी कहा है। इस मामले में अब चार अगस्त को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को भी नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सूरत की अदालत ने 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी के लिए उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

आपको बता दें कि राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट के सात जुलाई के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें कि कोर्ट ने दोषसिद्धि (दो साल की सजा) पर रोक लगाए जाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका को 21 जुलाई या 24 जुलाई को सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था।

राहुल गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि यदि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा। उनकी याचिका में कहा गया, अत्यंत सम्मानपूर्वक यह दलील दी जाती है कि यदि विवादित फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र बयान का दम घुट जाएगा।

बीजेपी विधायक ने दायर की थी कैविएट

भाजपा विधायक और राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने एक कैविएट दायर की थी, जिसमें अपना पक्ष रखने का मौका देने का अनुरोध किया गया है। कैविएट एक वादी द्वारा अपीलीय अदालत को प्रस्तुत किए गए नोटिस के रूप में कार्य करता है, जो किसी प्रतिद्वंद्वी की अपील के संबंध में कोई आदेश जारी होने की स्थिति में सुनवाई की इच्छा रखता है, जो निचली अदालत द्वारा किए गए निर्णय को चुनौती देता है।

गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ खटखटाया था शीर्ष अदालत का दरवाजा

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को राहुल की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जब उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की। उन्होंने शीर्ष अदालत से मामले को शुक्रवार या अगले सोमवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था और अदालत ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी। कांग्रेस नेता ने 15 जुलाई को गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने कहा था कि उनकी सजा पर रोक लगाना एक अपवाद होगा, न कि नियम।

2019 में चुनावी रैली के दौरान की थी विवादित टिप्पणी
राहुल गांधी को मार्च में संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया। राहुल ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी व ललित मोदी का जिक्र करते हुए कहा था, " ताज्जुब की बात है कि सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है।" उनकी इस टिप्पणी के लिए सूरत की एक अदालत ने उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

पहले सेशन फिर हाई कोर्ट से मिला झटका
मार्च में सूरत की सत्र अदालत ने सजा निलंबित करने की मांग वाली राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। फैसले में कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें कोई अपरिवर्तनीय क्षति नहीं होगी। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर शीर्ष अदालत राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाती है, तो यह उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल करने के लिए पर्याप्त होगा। कांग्रेस नेता को उस नियम के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, जो दोषी सांसदों को लोकसभा सदस्यता रखने से रोकता है।

 

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