हर केस की होगी विवेचना, स्थाई समाधान निकालने का प्रयास, पोर्टल तैयार करने का काम स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो

भोपाल

प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध होने वाले हर अपराध की  विवेचना के साथ केस स्टडी भी की जाएगी। यानि हर केस का विश्लेषण किया जाएगा। इसके जरिए यह पता किया जाएगा कि एफआईआर में दर्ज जानकारी में घटना का जो कारण बताया गया है वहीं मूल कारण है या इसका कारण कोई अन्य है। इसकी स्टडी करने के बाद हर अपराध की जानकारी एक पोर्टल में दर्ज की जाएगी। इसके जरिए विवाद का स्थायी समाधान निकालने का प्रयास होगा। इस संबंध में पोर्टल तैयार करने का काम स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो कर रहा है।

गलत दर्ज होते हैं कई केस!
प्रदेश में कई बार  एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग की शिकायतें भी पुलिस के पास आती है। इन शिकायतों की जांच के बाद यह पाया गया कि कुछ मामलों में जो कारण एफआईआर में बताया गया वह नहीं हैं विवाद का कारण कुछ और ही है। कई बार पुरानी रंजिश तो कई बार जमीन के विवाद में मूल विवाद को छोड़कर एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज करवा दिया जाता है। पुलिस चाहती है कि इस तरह के मामलों के स्थायी तौर पर हल निकाला जाए, ताकि विवाद की स्थिति न बनें।

केस की प्रकृति समझकर कराया जाएगा समाधान
 किसी क्षेत्र में किसी विशेष कारण से अपराध हो रहे हैं तो इसका पता कर आसानी से निपटारा किया जा सकेगा। इस संबंध में पुलिस नीतिगत निर्णय के जरिए भी इन्हें सुलझाने का प्रयास करेगी। अन्य विभागों की मदद के जरिए भी इस तरह के विवादों का स्थाई समाधान करने के प्रयास किए जाएंगे।  पोर्टल से प्रदेश में अपराधों की एक जैसी वजह वाले मामलों को भी पता करना आसान हो जाएगा।

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