छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज मालिकों का साथ देने वाले कर्मचारी भी फंसेंगे, एसआईटी की रिपोर्ट में कई साक्ष्य

लखनऊ
छात्रवृत्ति घोटाले में फंस रहे नौ कालेजों के मालिक (चेयरमैन-मैनेजर) का साथ देने वाले उनके कई कर्मचारी भी फंसेंगे। इनमें जिनके खिलाफ सीधे साक्ष्य मिलेंगे, उन पर कार्रवाई होगी। एसआईटी की 52 पन्नों की पहली रिपोर्ट में जो साक्ष्य हैं, उसके आधार पर आगे होनी वाली पड़ताल में ये सब आयेंगे। इस रिपोर्ट में यह भी साफ लिखा है कि हाईजिया ग्रुप के अलावा उनके कई करीबियों ने भी इस घोटाले की वजह से काफी फायदा उठाया। अब ये सब भी विवेचना के आगे बढ़ने के साथ ही फंसते जा रहे हैं।

हजरतगंज कोतवाली में 30 मार्च को इस घोटाले में एफआईआर दर्ज हुई थी। इससे पहले ईडी ने भी कई स्तर पर जांच की थी और अपने यहां मुकदमा दर्ज कर हाईजिया ग्रुप के इजहार हुसैन जाफरी व अली अब्बास जाफरी और कर्मचारी रवि प्रकाश गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था। फिर इन तीनों को लखनऊ पुलिस ने अपने मुकदमे में भी न्यायिक रिमाण्ड पर लिया था। इन तीनों से रिमाण्ड पर लम्बी पूछताछ हुई थी।

इसी दौरान कई सुबूत इनके बयानों से एसआईटी को मिले थे। एसआईटी के मुखिया जेसीपी उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने शुक्रवार को अपनी टीम के तीन सदस्यों से जांच रिपोर्ट के कई मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान ही कुछ नये बयान का जिक्र था, जिनके बारे में जेसीपी ने कुछ और ब्योरा जुटाने को कहा।

कालेज मालिक के करीबी कर्मचारी शामिल
जांच रिपोर्ट में जिक्र है कि इस घोटाले में शामिल हरदोई, लखनऊ समेत चार जिलों के पांच ऐसे कालेज हैं जहां के कुछ कर्मचारी अपने मालिक के सीधे सम्पर्क में रहते थे। इनका रुतबा किसी से कम नहीं रहता था। बैंक मैनेजर भी इनके इशारों पर फर्जी हस्ताक्षर के जरिये रकम ट्रांसफर कर देते थे। जांच रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि किस तरह से फर्जी खाते खोले गये और उनमें एक ही ई-मेल आईडी भरी गई। इस बारे में सब जानते हुये भी बैंक के अधिकारी अनजान बने रहे।  इस बारे में भी कई तथ्य रिपोर्ट में लिखे गये हैं। एसआईटी के एक अधिकारी का कहना है कि अभी कई बिन्दुओं पर जांच चल रही है। कुछ लोग अभी बयान देने नहीं आये हैं। इन्हें फिर से नोटिस भेजा जायेगा।

 

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