हिमाचल संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग संसद में उठाई जाएगी: प्रियंका गांधी

शिमला/नई दिल्ली
 कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई की अध्यक्ष और मंडी से लोकसभा सदस्य प्रतिभा सिंह राज्य में भारी बारिश के कारण हुई तबाही को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने की मांग संसद के विशेष सत्र में उठाएंगी।

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है कि इस विषय को सत्र के दौरान मांग उठाने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक होगा। उन्होंने यहां समर हिल में शिव मंदिर का दौरा किया और इसके बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि सत्र किस बारे में है और क्या उन्हें (प्रतिभा सिंह) यह मुद्दा उठाने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।

लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो हमें इस पर केंद्र के सामने एक प्रतिवदेन देना चाहिए। हम इसको लेकर पूरी ताकत लगाएंगे और केंद्र सरकार को इस बात के लिए मनाने का प्रयास करेंगे कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।

प्रियंका गांधी ने भूस्खलन से प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात की। गत 14 अगस्त को शिव मंदिर के आसपास हुए भूस्खलन में 20 लोगों की मौत हो गई थी। शिमला शहर में भूस्खलन की तीन घटनाओं में 27 लोगों की जान चली गई थी। फागली और कृष्णानगर में भूस्खलन से क्रमश: पांच और दो लोगों की मौत हुई थी।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात परिचालन की बहाली जैसे कई मुद्दे है जिनका समाधान केवल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा ही किया जा सकता है। उनका कहना था कि भारी बारिश के बाद हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से राज्य में बहाली कार्यों में आसानी होगी।

अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क कम करने के सरकार के कदम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्य में हुए नुकसान की पूरी जानकारी नहीं है और इस कदम से आयात को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय सेब उत्पादकों पर असर पड़ेगा जो पहले ही बारिश के कारण नुकसान झेल चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस समय कोई भी राजनीति नहीं करना चाहेगा और हर किसी को मदद के लिए आगे आना चाहिए।’’ प्रियंका गांधी कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन जिलों के बारिश प्रभावित क्षेत्रों के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने मंगलवार को मंडी और कुल्लू का दौरा किया था और केंद्र से भारी मानसूनी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया था।

उन्होंने इस बात को दोहराया, ‘‘हिमाचल के लोगों ने एकजुट होकर और प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आकर देश के लिए एक मिसाल कायम की है। राज्य में लोग प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए दान करने के लिए आगे आए हैं और यहां तक कि 'श्रम दान' भी किया है।’’ राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, प्रदेश में 24 जून को मानसून की शुरुआत से लेकर 11 सितंबर तक 8,679 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं, बारिश से संबंधित हादसों में 260 लोगों की जान चली गई। राज्य में मानसून के मौसम के दौरान भूस्खलन की कम से कम 165 और बाढ़ की 72 घटनाएं दर्ज की गईं।

भूस्खलन के कारण हुई 111 मौतों में से 94 मौतें कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन जिलों में हुईं और बाढ़ के कारण 19 में से 18 मौतें भी इन्हीं जिलों में हुईं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में 12,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया है।

 

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