क्रिएटिव लोग अकेलेपन में अवसर ढूंढते हैं कुछ नया

एकाकी होने पर जहां बहुत से लोग बोर और परेशान हो जाते हैं तो रचनात्मक लोग अपने ही कल्पना लोक में विचरण करने लगते हैं। वे अपने दिमाग को कुछ सकारात्मक करने और सृजन की दिशा में दौड़ाते हैं।

एरिजोना यूनिवर्सिटी की न्यूरो वैज्ञानिक जेसिका एंड्रयूज हाना के मुताबिक लोग किस तरह से सोचते हैं, यह समझना स्वास्थ्य और तंदरुस्ती को बेहतर बनाने की दिशा में हमें कदम उठाने का अवसर देगा।

2 हजार लोगों पर स्टडी हुई
एरिजोना, अरकांसास और मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने 2000 लोगों पर एक सर्वे में यह जानने की कोशिश की है कि जब लोगों के पास करने को कुछ खास नहीं होता तो किस तरह से वे रचनात्मक बने रहते हैं।

पार्टिसिपेंट्स को 10 मिनट बिना गैजेट्स के रखा
रिसर्चर्स ने 90 लोगों को बिना किसी डिजिटल डिवाइस के 10 मिनट तक कमरे में अकेले रखा और उसके बाद उनके दिमाग में जो भी विचार आए उनको खुलकर बयान करने को कहा। एक अन्य टेस्ट में सौ रबर बैंड से कैसे पैसे कमाएं? जैसे सवालों के कुछ आउट आॅफ बॉक्स समाधान भी रिसर्चर को प्राप्त हुए।

मनोविज्ञान की शोध छात्रा क्वेंटिन राफेली के मुताबिक जहां कई भागीदारों में असंबद्ध विचारों के बीच भटकने की प्रवृत्ति थी तो रचनात्मक लोगों के ज्यादा संबद्ध तरीके से सोचने के संकेत मिले। उन्होंने अधिक सुगठित और बेहतर तरीके से अपने विचार जाहिर किए। रचनात्मक लोग अलगाव के दौरान बोर नहीं हुए और क्रिएटिव बने रहे।

विचारों के साथ समय बिताने का मौका हाथ से जाने न दें
मनोवैज्ञानिक हाना का कहना है कि आज के व्यस्त और डिजिटल समाज में बिना बाधा के अपने विचारों के साथ अकेले रहने का वक्त बहुत दुर्लभ हो गया है। लेकिन काम के बोझ, डिजिटल डिवाइस की लत के बीच हमें किसी भी तरह अपने विचारों के साथ समय बिताने का और मौका निकालना चाहिए।

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