बेटे के फेक बर्थ सर्टिफिकेट केस में आजम खान को बड़ा झटका, तीनों दोषी करार

रामपुर

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को रामपुर कोर्ट से बड़ा झटका मिला है. बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट केस में आजम खान उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया है. रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. दरअसल, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का यह मामला 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में अब्दुल्ला आजम की जीत भी हुई थी, लेकिन उनके प्रतिद्विंदी नवाब काजिम अली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी.  

काजिम ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला आजम ने चुनाव लड़ने के लिए जो नामांकन भरे हैं उसमें उम्र छिपाई गई है, वह चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को बताया गया है. यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी और अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था

स्वार सीट का चुनाव किया गया था रद्द

काजिम ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को बताया गया है. यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी और अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था.

दो बर्थ सर्टिफिकेट, दोनों में अलग-अलग जन्म स्थान

बता दें कि अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है. इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है. दरअसल, आरोप के मुताबिक अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया है, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया है, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया है.

दो दिन पहले ही इस मामले में लगा था एक झटका

दो दिन पहले ही 16 अक्टूबर को इस मामले में आजम फैमिली को बड़ा झटका लगा था. मामले में बचाव पक्ष की बहस के लिए और अधिक समय मांगते हुए जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल किया गया था, जिसे न्यायालय ने रामपुर के एमपी-एमएलए विशेष अदालत एडीजे फर्स्ट कोर्ट को सुनवाई के लिए भेजा था. कोर्ट ने इस रिवीजन को निरस्त कर दिया था.

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button