अहीर रेजिमेंट को तत्काल स्वीकृति मिले:सांसद डॉ. के पी यादव

कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में अमर बलिदानियों का किया स्मरण

नई दिल्ली
गुना-शिवपुरी-अशोकनगर के सांसद डॉ. के पी यादव ने एक बार फिर अहीर (यादव) समाज की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए संसद में अहीर रेजिमेंट की मांग का मुद्दा उठाया.कारगिल विजय दिवस के अवसर पर अमर बलिदानीयों को स्मरण करते हुए साहस-शौर्य व राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अहीर समाज सदैव भारत माता की सेवा में अग्रणी रहा है।
 सांसद यादव ने नियम 377 के तहत संसद में मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत की थल सेना में रेजीमेंट प्रणाली है जिनका बंटवारा ब्रिटिश शासन काल में हुआ था और इसमें भर्तियां जाति या समुदाय के आधार पर होती थी,पिछले कई वर्षों से अहीर यादव समुदाय की मांग है कि सेना में अहीर रेजिमेंट के नाम पर एक पूर्ण इन्फेंट्री को जो वर्तमान में कुमाऊं रेजिमेंट के दो बटालियन और अन्य रेजिमेंटों में एक निर्धारित प्रतिशत तक सीमित है।अहीर समाज का देश के इतिहास में बहुत बड़ा योगदान है चाहे वह 1948,1962,1965, 1971 कारगिल युद्ध प्रथम/ द्वितीय विश्वयुद्ध या 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो।

अहीर समुदाय के सैनिकों को पराक्रम और अदम्य साहस के लिए दो परमवीर चक्र,चार महावीर चक्र,चार अशोक चक्र,तीस वीर चक्र और 6 कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान 17000 फीट की ऊंचाई पर स्थित रेजांग ला पर 3000 चीनी सैनिकों से लड़ते हुए 120 अहीर समाज के सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.

अहीर समाज के ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने हेतु मेरा सरकार से विनम्र निवेदन है कि वह अहीर रेजिमेंट के गठन को तत्काल स्वीकृति दें और यदि किन्ही प्रशासनिक कारणों से यह संभव न हो तो वायुसेना और नौसेना की तरह थल सेना में भी रेजिमेंट प्रणाली को खत्म किया जाए, जिससे हर वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिले।

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