बीस साल बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में गूंजी किलकारी, कृष्ण मृग मादाओं ने दिया दो शावकों को

भरतपुर.

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बीस साल बाद एक बार फिर कृष्ण मृग ने नवजातों को जन्म दिया है। दोनों मादा बच्चों का मूवमेंट मल्हा वनक्षेत्र और सदर नाका क्षेत्र में दिखाई दिया। फॉरेस्ट गार्ड इन पर निगरानी रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि केवलादेव घना में ब्लैक बैक कृष्ण मृग शुरुआत से ही थे। राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि वर्ष 2002 में आखिरी बार उद्यान में कृष्ण मृग दिखाई दिए थे।

पिछले साल एक्सचेंज प्रोजेक्ट के तहत भरतपुर से दूसरे अभयारण्य को चीतल भेजे गए थे। इसके एवज में कैलादेवी अभयारण्य, करौली से घना को चार ब्लैक बक मिले। जिनमें तीन मादा और एक नर हैं। इन्हीं में से दो मादा ने पिछले दिनों बच्चे दिए हैं। उन्होंने कहा कि विलुप्त हुई प्रजाति को दोबारा सुरक्षित रूप से उसके प्राकृतिक परिवेश में बचाए जाने में दिक्कतें आती हैं लेकिन कृष्ण मृग के प्रजनन से यह सिद्ध होता है कि केवलादेव घना का पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के संरक्षण और विकास में अनुकूल है।

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