SC की सात जजों की संविधान बेंच करेगी सुनवाई, ‘वोट के बदले नोट’ वाले नेताओं पर गिरेजी गाज

नई दिल्ली
 वोट के बदले नोट मामले में फिर से सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ शीर्ष न्यायालय के 1998 के आदेश पर पुनर्विचार करेगी। यह आदेश उन सांसदों और विधायकों को कार्रवाई से छूट देता है जिन्होंने संसद और राज्य विधानमंडलों में धन लेकर वोट या बयान दिया हो। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के जरिये सूचित किया गया है कि पीठ मामले की सुनवाई चार अक्टूबर से शुरू करेगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुन्द्रेश, जस्टिस पामिदीघंटम श्री नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पार्डीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्र हैं। झामुमो विधायक सीता सोरेन की याचिका पर यह सुनवाई शुरू होगी।
 

रिश्वत कांड ने देश की राजनीति को हिला दिया था

मामले में प्रतिवादी भारत सरकार को बनाया गया है। करीब 30 वर्ष पूर्व झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) रिश्वत कांड ने देश की राजनीति को हिला दिया था। उसमें झामुमो के पांच सांसदों ने नरसिंह राव सरकार को बचाने के लिए धन लेकर लोकसभा में आए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के पक्ष में मतदान किया था। राजनीति में नैतिकता की दुहाई देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बीती 20 सितंबर को तैयार हुआ। उस दिन पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सात न्यायाधीशों वाली पीठ को मामला स्थानांतरित करने का फैसला किया था।

सन् 1998 में पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने पीवी नरसिंह राव की सरकार बचाने वाले संसद के भीतर के घटनाक्रम पर आदेश दिया था। इसमें सदन के भीतर दिए जाने वाले बयान और मतदान करने के लिए आपराधिक मामला चलाए जाने से छूट दी गई थी। इसमें संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला दिया गया था।

 नरसिंह राव सरकार को बचाने के लिए हुए रिश्वत कांड में आरोपित झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन की याचिका को 2019 में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा था। इसे जनता के लिए महत्वपूर्ण के नोट के साथ संविधान पीठ को भेजा गया था। अब यह मामला सात सदस्यीय पीठ के पास आया है।

सीता सोरेन ने 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव में रिश्वत के लेन-देन को आधार बनाकर 1998 के आदेश को चुनौती दी है। सीता ने याचिका में कहा है कि कार्रवाई से छूट का फायदा उठाकर सांसद और विधायक खुलकर धन का लेन-देन कर रहे हैं जिससे राजनीति में शुचिता खत्म हो रही

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button