जल्द दिल्ली एम्स में बंद हो सकती है पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की एंट्री, क्या है फैसले की वजह

नईदिल्ली

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एम्स अपने परिसर में डीजल और पेट्रोल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में वायु प्रदूषण और जाम से निपटने के लिए तत्कालिक और दीर्घकालिक योजना को लेकर रिपोर्ट दी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि वह निकट भविष्य में आपातकालीन और रोगी परिवहन को छोड़कर, सभी डीजल और पेट्रोल वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की संभावना तलाश रहे हैं। चरणबद्ध तरीके से 200 इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदेंगे। वायु प्रदूषण नियंत्रित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका के जवाब में एम्स ने यह रिपोर्ट दाखिल की है।

यातायात की निगरानी

एम्स ने एनजीटी को बताया कि वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए तत्कालिक योजनाएं भी तैयार की है। इसके तहत परिसर के भीतर यातायात की निगरानी की जा रही है। साथ ही कहा कि परिसर में सड़कों पर अनधिकृत रूप से वाहनों की पार्किंग पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसके लिए नियमित तौर पर अनधिकृत रूप से पार्क किए गए वाहनों को उठाया जा रहा है और कार्रवाई की जा रही है।

कुछ प्रमुख पहल

● एम्स में 125 किलोवाट से अधिक और 800 किलोवाट से कम के जेनरेटर में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाना।
● एम्स में डीपीसीसी की मदद से मोबाइल वायु गुणवत्ता सूचकांक निगरानी केंद्र लगाया जाएगा।

900 वाहनों की क्षमता वाली दो मल्टी लेवल पार्किंग

एम्स ने ग्रीन ट्रिब्यूनल को बताया कि वह अपने परिसर में पार्किंग की समस्या और जाम से निजात पाने के लिए दो अतिरिक्त मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण करेगा। एम्स प्रशासन की ओर से एसोसिएट्स प्रोफेसर डॉ. अब्दुल हकीम चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल के मास्टर प्लान में इसके लिए गेट संख्या 3 और 6 के पास जगह चिह्नित की गई है। इस पर 355 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसमें एकसाथ करीब 900 वाहन पार्क हो सकेंगे। इसके निर्माण में 78 माह का वक्त लगेगा। उधर, एम्स में अब एक मरीज के साथ सिर्फ एक ही तीमारदार रह सकेंगे। एनजीटी को बताया कि इस बारे में बनाई गई नीति का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कर रहा है। हालांकि, कुछ रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए मामले-दर-मामले के आधार पर अपवाद माना जाएगा और एक से अधिक तीमारदार को मरीज के साथ रहने दिया जाएगा।

 

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