जयपुर में जैन श्रद्धालुओं ने निकाली एक किलोमीटर लम्बी तिरंगा यात्रा

जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्वतंत्रता दिवस पर जैन श्रद्धालुओं ने एक किलोमीटर लम्बी तिरंगा यात्रा निकाली। प्रताप नगर सेक्टर आठ में चातुर्मास कर रहे जैनाचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में मंगलवार को अनूठे अंदाज में जैन श्रद्धालुओं ने आजादी के 77 वें महामहोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाते हुए यह तिरंगा यात्रा निकाली। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं ने शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर आठ, प्रताप नगर से मुख्य पांडाल स्थल तक करीबन एक किमी लम्बी तिरंगा यात्रा निकाली। इस यात्रा में शामिल बच्चों, बुजुर्गो, महिला और पुरुष अपने हाथों में तिरंगा लेकर देशभक्ति नारों और जयकारों की दिव्य गूंज और बैंड -बाजों की ध्वनि पर नृत्य करते हुए चल रहे थे वहीं महिलाओं ने तिरंगा वस्त्र धारण कर यात्रा में शामिल होकर देशभक्ति का जज्बा दिखाया।
यात्रा जब मुख्य पांडाल स्थल पर पहुंची तो सर्व प्रथम भाजपा नेता संजय जैन द्वारा आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में ध्वजारोहण किया गया। इस अवसर पर आचार्य सौरभ सागर ने भारत को एक अध्यात्म प्रधान देश बताते हुए कहा कि अध्यात्म की शिक्षा देने का पूर्ण अधिकार गुरु को एवं शिक्षक को है लेकिन वर्तमान में शिक्षकों का आचरण खो गया है। उनकी महिमा, गरिमा समाप्त हो गई है। वे विद्यार्थी को शिक्षा देने के पूर्व व्यसन सेवन जैसे तम्बाकू, पान, गुटका, बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि खाते-पीते है, फिर बालकों को शिक्षा देते है, इसलिए शिक्षा का असर नहीं होता है। नींव कमजोर है, तो मकान भी कमजोर होता है जिस प्रकार विद्यार्थियों की ड्रेस नियुक्त है, उसी प्रकार शिक्षकों की भी ड्रेस नियुक्त होनी चाहिये। शिक्षक अगर आचारहीन होगा तो उसका असर भी विद्यार्थियों पर होगा। आज के ही विद्यार्थी कल के नागरिक है। वे अपने बड़ों का आचरण देखकर अपना भविष्य बनाते है।
उन्होंने भारतीय संस्कृति को अहिंसा की संस्कृति बताते हुए कहा कि अहिंसा की संस्कृति से मुक्त होने से हम सुखी नहीं है क्योंकि हमने अपने जीवन में अनैतिकता, अराजकता को स्वीकार कर लिया है। भारतीय संस्कृति धार्मिक क्षेत्र में जिस प्रकार ज्ञान, दर्शन, चरित्र का संदेश देती है, उसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में अहिंसा प्रेम एवं भक्ति की शिक्षा देती है। भारतीय संस्कृति हिंसा को निकृष्ट और अहिंसा को उत्कृष्ट मानती है। यहां राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, जीसस ग्रंथो में नही, दिल के विद्यमान है।
आचार्य सौरभ सागर ने कहा कि देश भक्त के चरण स्पर्श से मातृभूमि धन्य हो जाती है। देश भक्तों ने अपना सर्वस्व त्यागकर सैकड़ों वर्षों से परतंत्र भारत को स्वतंत्रता दिलाई।

 

 

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