झोतेश्वर में झलकी काशी की देव दीपावली — सहस्त्र दीपों से आलोकित हुई परमहंसी तपोभूमि

झोतेश्वर (श्रीधाम), 5 नवंबर 2025।
कार्तिक मास पूर्णिमा के पावन अवसर पर जब संपूर्ण वाराणसी देव दीपावली के प्रकाश से जगमगा रही थी, उसी की अद्भुत झलक बुधवार को झोतेश्वर के दिव्य परमहंसी आश्रम में भी देखने को मिली श्रीधाम रेलवे स्टेशन के समीप स्थित झोतेश्वर ग्राम के अंतर्गत भव्य एवं दिव्य परमहंसी आश्रम, जो ब्रह्मलीन द्विव पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की तपोभूमि है, वहां कार्तिक पूर्णिमा दिन बुधवार को अत्यंत श्रद्धा एवं भक्ति भाव से देव दिवाली पर्व मनाया गया।
इस अवसर पर श्रीमाता भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी देवी का सहस्त्रार्चन तथा पूज्य शंकराचार्य जी महाराज की समाधि स्थल पर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र द्वारा विशेष अर्चन एवं पूजन किया गया। सम्पूर्ण आश्रम परिसर मंत्रोच्चार और दीपप्रज्वलन से गूंज उठा।
वाराणसी की तर्ज पर दीपों से सुसज्जित आश्रम परिसर में भक्तों ने देव दीपावली का अद्भुत नजारा देखा। इस दिव्य आयोजन के आयोजक कोलकाता (प. बंगाल) से पधारे श्रद्धालु श्री अरुण, अनिल पाटोदिया, शशि रुंगटा, राजीव बीदासरिया, आनंद जलान, प्रदीप, सुनील डॉकानिया, अभ्युद, हेमंत तोसावर, महिलाओं में श्रीमती वंदना, सुधा शर्मा, शालू जी,
दिल्ली से श्री अशोक भदौरिया थे तथा जबलपुर से श्री अशोक मिश्रा, हरिदत्त पाठक, रविन्द्र अवस्थी, रामानुज तिवारी सहित अनेक श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल हुए।
आयोजन में आश्रम के संत-महात्माओं, वेदपाठी ब्राह्मणों तथा स्थानीय ग्रामीण जनों ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर पूज्य शंकराचार्य जी के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।
पूरे आयोजन के दौरान वातावरण में वैदिक मंत्रों की गूंज, दीपों की ज्योति और भक्ति की अनुभूति ने पूरे झोतेश्वर क्षेत्र को आध्यात्मिक आलोक से भर दिया।
वाराणसी की प्रेरणा, झोतेश्वर की झलक
वाराणसी में देव दीपावली का पर्व तब मनाया जाता है जब देवता स्वयं गंगा तट पर उतरकर दीप प्रज्वलित करते हैं।
माना जाता है कि यह दिन देवताओं की दीपावली है — कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि जब समस्त देवगण भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
उसी भाव से झोतेश्वर में भी सैकड़ों दीप प्रज्वलित कर भक्तों ने परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति समर्पित की।
मंत्रोच्चारण, शंखध्वनि की गूंज ने सम्पूर्ण क्षेत्र को एक जीवंत काशी का आभास कराया।

पूरा झोतेश्वर कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि आध्यात्मिक ऊर्जा से आलोकित था ऐसा अहसास हो रहा था जैसे कि दीपों की कतारें आत्मा में प्रकाश भर रही हों,और हर श्रद्धालु के हृदय में यह भाव जग रहा था —
“जहाँ दीप है, वहीं देवता का निवास है।”





