“अचानक चमक उठीं सड़कें, शहरवासी बोले – काश रोज़ चमत्कार होता!”

जबलपुर। (मनीष मिश्रा की रिपोर्ट)जैसे ही किसी बड़े कार्यक्रम की आहट हुई, वैसे ही नगर निगम मानो नींद से जाग उठा। महीनों से गड्ढों में समाई सड़कें और कीचड़ से जूझते राहगीर अचानक राहत महसूस कर रहे हैं। जहाँ पहले हर दिन बाइक फिसलना और पैदल चलना खतरे से खाली न था, वहीं अब नगर निगम की मशीनें और मजदूर दिन-रात भाग-दौड़ कर रहे हैं।
शहरवासियों की हालत देखकर लगता है कि सड़कों की मरम्मत के लिए अब कोई देवदूत नहीं, बल्कि “विशेष अवसर” ही भगवान बन चुका है।

नागरिकों की प्रतिक्रियाएँ

शैलेन्द्र गुप्ता (व्यापारी): “सड़कें कब सुधरेंगी, यह पूछने से अच्छा है पूछ लीजिए—अगला बड़ा कार्यक्रम कब है!”
रीना मिश्रा (गृहिणी): “बरसात में हम कीचड़ से जूझते रहे, लेकिन अब अचानक यह तेजी देखकर लगता है कि काश रोज़ कोई बड़ा मेहमान आता।”
अमित तिवारी (छात्र): “इन गड्ढों में तो हमें पीएचडी तक करने का मौका मिल सकता था। अब काम हो रहा है, लेकिन डर है कि यह दिखावा कहीं ‘वन डे मैच’ की तरह खत्म न हो जाए।”
शहरवासी हँसते हुए कहते हैं कि अगर ऐसे ही हर मौके पर सड़कें चमकती रहें, तो शायद विकास योजनाओं की जगह “विशेष आगमन योजनाओं” को ही सरकारी नीति बना देना चाहिए।

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