7–8 सितंबर की रात दिखेगा रक्तिम चंद्र: चंद्रग्रहण का अद्भुत नजारा

भारत समेत एशिया में पूर्ण चंद्रग्रहण होगा दृश्य, खगोल प्रेमियों के लिए यादगार रात

जबलपुर। 7–8 सितंबर 2025 की रात आसमान में खगोलीय चमत्कार देखने को मिलेगा, जब पूर्ण चंद्रग्रहण घटित होगा। इस दौरान चंद्रमा गहरा लाल रंग धारण कर लेगा, जिसे आम बोलचाल में “ब्लड मून” कहा जाता है। भारत में यह ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई देगा और इसकी कुल अवधि लगभग 82 मिनट की रहेगी।

आंशिक ग्रहण प्रारंभ : रात 9:57 बजे

पूर्ण चंद्रग्रहण प्रारंभ : रात 11:00 बजे

अधिकतम ग्रहण : रात 11:42 बजे

पूर्णता समाप्त : रात 12:22 बजे (8 सितंबर)

आंशिक ग्रहण समाप्त : रात 1:26 बजे (8 सितंबर)

क्यों होता है चंद्रग्रहण?

जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तब चंद्रग्रहण होता है। पूर्ण ग्रहण के दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है और लाल किरणें चंद्रमा तक पहुँचती हैं। इसी कारण चंद्रमा लालिमा लिए दिखाई देता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता

भारतीय परंपरा में ग्रहण को विशेष महत्व दिया गया है। इसे शुभ-अशुभ प्रभावों से जोड़ा जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में कुछ कार्य वर्जित होते हैं और कुछ कार्य विशेष रूप से किए जाने की सलाह दी जाती है।

क्या करें

ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, ध्यान और भजन-कीर्तन करें।

चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्र जाप की विधि

चंद्र ग्रहण के समय मंत्र जाप का महत्व और फल सामान्य दिनों से कहीं अधिक माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण के दौरान किए गए जप, ध्यान और दान का हजार गुना अधिक फल मिलता है।

1.ग्रहण प्रारंभ से पहले तैयारी

स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थान पर दीपक जलाएँ और आसन बिछाएँ।

जिनका संकल्प (मनोवांछित इच्छा) हो, उसका उच्चारण करें।

ध्यान रखें कि भोजन पहले ही कर लिया जाए, ग्रहण काल में भोजन न करें।

2.मंत्र चयन

ग्रहण काल में विभिन्न मंत्रों का जप विशेष फलदायी होता है। गुरूमंत्र को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र

यह मंत्र रोग-शोक निवारण और दीर्घायु के लिए श्रेष्ठ है।

गायत्री मंत्र

यह मंत्र बुद्धि, ऊर्जा और आत्मबल देने वाला है।

चंद्र देव का मंत्र

यह मंत्र मानसिक शांति और मनोबल के लिए।

विष्णु मंत्र

यह मंत्र पाप शांति और ग्रहण दोष निवारण के लिए।

3.जाप की विधि

आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें।

जाप मन, वाणी और हृदय से श्रद्धापूर्वक करें।

ग्रहण काल में यथासंभव अधिक से अधिक मंत्र जप करें।

4.ग्रहण समाप्ति के बाद

ग्रहण समाप्ति के बाद पुनः स्नान करें।

घर और पूजा स्थान की शुद्धि करें।

पुनः भगवान को अर्पण करें और तिल, वस्त्र या अन्न का दान करें।

विशेष ध्यान देने योग्य बातें

गर्भवती महिलाएँ ग्रहण काल में धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करें, बल्कि सुरक्षित स्थान पर बैठकर भगवन्नाम का स्मरण करें।

मंत्र जप मन की एकाग्रता और श्रद्धा से किया जाए, संख्या पर अधिक बल नहीं।

ग्रहण के समय किए गए थोड़े से जप का भी बहुत बड़ा फल मिलता है।
ग्रहण काल में दान-पुण्य को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

गर्भवती महिलाएँ ग्रहण से बचाव हेतु धार्मिक पाठ या ध्यान कर सकती हैं।

क्या न करें

ग्रहण के दौरान खाना-पीना, सोना और शारीरिक संबंध वर्जित माने जाते हैं।

गर्भवती महिलाओं को धारदार वस्तुओं का प्रयोग करने से मना किया गया है।

ग्रहण काल में खुले आकाश के नीचे लंबे समय तक बैठना अशुभ माना जाता है।

ग्रहण के फायदे और नुकसान

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ

खगोल विज्ञानियों और छात्रों के लिए यह ग्रहण अध्ययन और अनुसंधान का अवसर है।

यह घटना ब्रह्मांड की गति और पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य के संबंध को समझने का उत्तम माध्यम है।

फोटोग्राफी और खगोल प्रेमियों के लिए दुर्लभ क्षण है।

संभावित नुकसान या सावधानियाँ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

लंबे समय तक खुली जगह में बैठे रहने से थकान या अस्वस्थता हो सकती है।

कैसे देखें ग्रहण?

दूरबीन या टेलीस्कोप से देखने पर और भी मनमोहक दृश्य मिलेगा।

फोटोग्राफी के लिए कैमरा या स्मार्टफोन को तिपाई पर लगाकर लंबे एक्सपोज़र का प्रयोग किया जा सकता है।

समापन

7–8 सितंबर की रात का यह चंद्रग्रहण न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है। यह अवसर है जब विज्ञान और आस्था एक साथ आकाश की ओर देखने के लिए प्रेरित करते हैं। खगोलीय रहस्यों से भरी इस रात को जरूर निहारें और इसे अपने जीवन का यादगार क्षण बनाएं।

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