राजस्थान यूनिवर्सिटी के 70 प्रोफेसर ने चुनाव लड़ने की कुलपति से मांगी एनओसी

जयपुर

राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। राजनीति में किस्मत आजमाने वाले नामांकन दाखिल करेंगे और चुनाव लड़ेंगे। इस बार राजस्थान यूनिवर्सिटी के 70 प्रोफेसरों (शिक्षकों) ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इन शिक्षकों का कहना है कि राजस्थान विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार, उन्हें चुनाव लड़ने की छूट है। लिहाजा वे चुनाव लड़ना चाहते हैं। शिक्षकों की ओर से कुलपति को पत्र लिखकर चुनाव लड़ने की एनओसी जारी करने की मांग की है।

70 शिक्षकों ने एक साथ चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों किया?
विश्वविद्यालय के 70 शिक्षकों की ओर से एक साथ चुनाव लड़ने का निर्णय चौंकाने वाला है। हालांकि इस निर्णय के पीछे वजह दूसरी है। दरअसल जिला प्रशासन ने इन शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी लगाई है। शिक्षक ड्यूटी कैंसिल करवाना चाहते हैं। ड्यूटी कैंसिल कराने के लिए 70 शिक्षकों ने वीसी को पत्र भेजा है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। एक्ट के हिसाब से वे चुनाव भी लड़ सकते हैं और राजनैतिक पार्टियों में सक्रिय भी रह सकते हैं। ऐसे में चुनाव में ड्यूटी लगाना गलत है।

शिक्षक बोले- तैयारी पूरी है, चुनाव लड़ेंगे
राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार का कहना है कि विश्वविद्यालय अध्यादेश 384ए के तहत गत वर्षों से राजस्थान विश्वविद्यालयों के शिक्षक राजनैतिक पार्टियों और विचारधाराओं में सक्रिय हैं। इसलिए हमारी चुनाव कार्यों में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। हम सभी शिक्षकों ने चुनाव लड़ने के लिे कुलपति से एनओसी मांगी है। डॉ. कुमार ने कहा कि उन्होंने एक राजनैतिक पार्टी से टिकट मांगा है। अगर टिकट नहीं मिलता है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

कई प्रोफेसर राजनैतिक दलों में सक्रिय
राजस्थान विश्वविद्यालय के कई शिक्षक राजनैतिक दलों में सक्रिय हैं। कुछ तो विभिन्न प्रकोष्ठों में पदाधिकारी भी हैं। लोक प्रशासन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सीबी शर्मा कांग्रेस की संदेश मैगजीन से जुड़े हैं। पिछले कई सालों से कांग्रेस के ट्रेनिंग कार्यक्रमों में हिस्सा लेते लेते रहे हैं। इस बार उन्होंने चौमू विधानसभा सीट से दावेदारी भी की है। डॉ. यादव का कहना है कि उन्होंने भी कुलपति को पत्र लिखकर एनओसी देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक पार्टियों से जुड़े शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जानी चाहिए।

सरकारी कर्मचारियों और विश्वविद्यालय शिक्षकों के नियम अलग-अलग
चुनाव लड़ने के लिए सरकारी कर्मचारियों और राजस्थान विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियम हैं। अगर कोई सरकारी कर्मचारी चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ती है। विश्वविद्यालय एक्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय के शिक्षकों को चुनाव लड़ने की छूट है। उन्हें सेवानिवृत्ति लेने की जरूरत नहीं है। सिर्फ वीसी से अनुमति लेकर चुनाव लड़ सकते हैं। उधर जयपुर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित का कहना है कि जिन कर्मचारियों और अधिकारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें समय पर ड्यूटी पर पहुंचना होगा।

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