10 करोड़ का प्लॉट डेवलपर एवरग्रीन को लाखों में बेचा

इंदौर
पुष्प विहार कॉलोनी में एक और घोटाला सामने आया है। 2006 में 10 हजार वर्गफीट का व्यावसायिक प्लॉट बिक गया था जिसकी रजिस्ट्री अंडे वाले नसीम हैदर ने की थी। वह प्लॉट संस्था ने अब कॉलोनी का विकास कर रहे डेवलपर एवरग्रीन को ओने-पौने दाम में बेच दिया। बाजार में जिसकी कीमत दस करोड़ रुपए है, लेकिन लाखों रुपए में बेच दिया। गंभीर शिकायत के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।
मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था की पुष्प विहार कॉलोनी में प्रशासन ने 950 सदस्यों को प्लॉट का कब्जा दिला दिया। अब सिर्फ ईडब्ल्यूएस के 125 सहित 200 प्लॉटों का मामला अटका हुआ है। इसको लेकर सदस्य संस्था और सहकारिता विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस बीच में संस्था ने 10 हजार वर्गफीट का व्यावसायिक प्लॉट कॉलोनी का विकास करने वाले डेवलपर को ही बेच दिया। बात यहीं तक सीमित नहीं थी। बाजार में दस हजार रुपए वर्गफीट की कीमत चल रही है जिसके हिसाब से दस करोड़ का प्लॉट हो रहा है, लेकिन संस्था ने ऑन रिकॉर्ड महज 4 लाख हजार दो हजार रुपए में प्लॉट बेच दिया। उसकी रजिस्ट्री अध्यक्ष अनिल चौहान ने की।
अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि बिना टेंडर बुलाए संस्था व्यावसायिक प्लॉट कैसे बेच सकती है। साथ में ये प्लॉट डेवलपर को ही क्यों बेचा गया? 2006 में संस्था ने ये प्लॉट संजय सिंह पिता केदारनाथ डोढ़ी को 5 लाख 93 हजार रुपए में बेच दिया था। इसकी रजिस्ट्री ईडब्ल्यूएस के प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री करने वाले नदीम हैदर ने की थी, लेकिन संस्था में बकायदा लिखा- पढ़ी और पैसे भी जमा हैं। जबकि 125 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री का रिकॉर्ड नहीं था। नए सिरे से प्लॉट बिकने पर पूर्व खरीदार सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन को एक शिकायत की है। इस पर कलेक्टर मनीष सिंह ने तहसीलदार रितेश जोशी को मामले की जांच सौंप दी है।
कनेक्शन कहीं ओर भी
कॉलोनी में सदस्यों को प्लॉट का कब्जा देने के बाद विकास के लिए संघर्ष समिति और संस्था के कर्ताधर्ताओं ने टेंडर बुलाए थे। उसके बाद संघर्ष समिति के सदस्यों के कहने पर 350 रुपए प्रति वर्गफीट के भाव से डेवलपर को काम सौंपा गया। सदस्यों ने पहली किश्त भी चुका दी है। संस्था के डेवलपर को प्लॉट देने के बाद प्रशासन सकते में है। इसकी भी जांच की जा रही है कि संघर्ष समिति, संस्था और डेवलपर की आपस में सांठगांठ तो नहीं है। संघर्ष समिति के प्रमुख लोग ही डेवलपर को लेकर आए थे।
बॉबी के प्रभाव वाली है संस्था
गौरतलब है कि मजदूर पंचायत संस्था पर अप्रत्यक्ष तौर पर जमीन के जालसाज बॉबी छाबड़ा का कब्जा है। संस्था के अध्यक्ष अनिल चौहान की छाबड़ा से खासी नजदीकी है। उसके इशारे बगैर कोई काम नहीं होता है। अब इस खेल में भी बॉबी की अहम भूमिका की तलाश की जा रही है। शिकायतकर्ता ने कई प्रमाणों के साथ में गंभीर आरोप भी लगाए हैं। प्रशासन शिकायत की गंभीरता से जांच कर रहा है। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी होगी, क्योंकि प्रशासन ने माफिया से बचाने के लिए जिनको जिम्मेदारी दी थी वे भी गड़बड़ कर रहे हैं। चर्चा तो ये भी है कि संघर्ष समिति के एक सदस्य को प्लॉट दिलाने के एवज में डेवलपर ने मोटी रकम भी दी है।