हुमायूं मकबरा, जहां दफन हैं मुगल वंश के 150 से ज्यादा राज

जानें रोचक इतिहास

 

 

दिल्ली. राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित हुमायूं का मकबरा सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि मुगल काल की शानदार विरासत का जीता-जागता उदाहरण है. यहां कदम रखते ही आपको लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी एक भव्य इमारत दिखती है, जिसके चारों ओर फैला हरा-भरा चारबाग बगीचा मन को सुकून देता है. पानी की नहरें, फव्वारे और शांत वातावरण इसे पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन जगह बनाते हैं. लेकिन हाल ही में यहां बड़ा हादसा हो गया. हुमायूं के मकबरे के पास स्थित दरगाह शरीफ पत्ते शाह में बने एक कमरे की छत और दीवार का हिस्सा अचानक गिर गया. जिसमें 10 लोग मलबे के नीचे दब गए. वहीं सामने आई जानकारी के मुताबिक इस हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में दो पुरुष और 3 महिला है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री प्रोफेसर डॉक्टर सनी सिंह के अनुसार निजामुद्दीन इलाके में स्थित हुमायूं का मकबरा भारत में बनी मुगल वास्तुकला की पहली भव्य इमारत मानी जाती है. इसे हुमायूं की पत्नी हमीदा बानो बेगम ने 1556 में बनवाना शुरू किया था और 1565 में इसका निर्माण पूरा हुआ. इस स्मारक के डिजाइनर थे फारसी वास्तुकार मिराक मिर्जा गियास, जिन्होंने इसे पर्शियन और भारतीय शैली का मेल देकर तैयार किया गया था.
परिवार के 150 से ज्यादा सदस्यों की कब्रें
हुमायूं का मकबरा सिर्फ एक राजा की कब्र नहीं है, बल्कि यहां मुगल परिवार के 150 से ज्यादा लोगों की कब्रें भी बनी हैं. इसी वजह से इसे कई बार मुगल परिवार का कब्रिस्तान भी कहा जाता है. कहा जाता है कि हुमायूं के मकबरे से ही ताजमहल जैसी बड़ी और खूबसूरत इमारत बनाने का आइडिया आया था. इतना ही नहीं साल 1993 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया. तब से यहां देश और विदेश से लाखों लोग घूमने आते हैं.

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