“हंगामे में डूबे मानसून सत्र में: आधे से ज्यादा समय खराब, 12 बिल ही पारित”

Edited by – Ramanuj Tiwari
नई दिल्ली।
संसद का मानसून सत्र हंगामे और राजनीतिक टकराव के बीच 21 अगस्त को समाप्त हो गया। 32 दिनों तक चले इस सत्र में कुल 21 बैठकें हुईं। लोकसभा में 14 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 12 पारित हो गए। वहीं, राज्यसभा से 15 विधेयक पारित/वापस लिए गए।
सत्र की शुरुआत ही विवादित रही, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पहले दिन इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने संभाली।
सबसे लंबी चर्चा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर
28–29 जुलाई को लोकसभा और 29–30 जुलाई को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई। लोकसभा में 18 घंटे 41 मिनट की बहस में 73 सदस्य शामिल हुए और प्रधानमंत्री ने जवाब दिया। राज्यसभा में यह चर्चा 16 घंटे 25 मिनट चली, जिसमें 65 सदस्यों ने हिस्सा लिया और गृह मंत्री ने उत्तर दिया।
प्रमुख विधायी कार्य
आयकर विधेयक, 2025 – सरकार ने वापस लिया।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 – खिलाड़ियों के हित में पारित।
ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक, 2025 – ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा।
भारतीय बंदरगाह, लदान व जहाजरानी संबंधी विधेयक – दोनों सदनों से पारित।
इसके अलावा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह माह बढ़ाने का संकल्प भी पारित हुआ।
उत्पादकता पर सवाल
लगातार हंगामे के कारण सत्र की उत्पादकता बेहद कम रही। लोकसभा ने केवल 31% और राज्यसभा ने 39% कार्य किया। 120 उपलब्ध घंटों में से लोकसभा में मात्र 37 घंटे और राज्यसभा में 41 घंटे 15 मिनट चर्चा हो सकी।
अधूरी चर्चा
18 अगस्त को लोकसभा में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहले भारतीय यात्री शुभांशु शुक्ला की उपलब्धियों पर चर्चा शुरू हुई, लेकिन लगातार व्यवधान के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका।