“बनिया कीड़ा दे रहा मौसम का संकेत, अब थमेगी बारिश!”

मंडला/मनोज द्विवेदी
बरसात के मौसम में किसानों और ग्रामीणों के बीच लोक मान्यता है कि प्रकृति स्वयं संकेत देती है कि कब पानी बरसेगा और कब थमेगा। इसी कड़ी में इन दिनों खेत-खलिहानों और बस्तियों के आसपास बड़ी संख्या में एक विशेष पतंगा दिखाई दे रहा है, जिसे स्थानीय भाषा में “बनिया कीड़ा” कहा जाता है।
बुजुर्ग बताते हैं कि यह कीट बरसात का प्राकृतिक पैमाना माना जाता है। कहावत प्रचलित है—
“ऊपर बनिया, नीचे पानी,
नीचे बनिया, ऊपर पानी।”
अर्थात्, जब यह कीड़ा ऊपर उड़ता है तो धरती पर बारिश होती है और जब यह जमीन के पास उड़ने लगे तो समझना चाहिए कि बारिश का दौर अब खत्म होने वाला है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस समय बनिया कीड़ा लगातार नीची उड़ान भर रहा है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब मौसम का मिजाज बदलने वाला है और बारिश का दौर समाप्ति की ओर है।
कृषि कार्यों में जुटे किसानों के लिए यह संकेत महत्वपूर्ण है। क्योंकि बीज बोने, निंदाई-गुड़ाई और फसल की सुरक्षा को लेकर वे प्राकृतिक संकेतों पर भरोसा करते आए हैं। गाँव के बुजुर्ग मानते हैं कि प्रकृति का यह अनुभव वर्षों की परंपरा और सटीक लोकज्ञान है, जिसे आधुनिक मौसम विज्ञान भी कई बार पुष्ट करता दिखाई देता है।
ग्रामीण अंचलों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि “बनिया कीड़े की नीची उड़ान अब आने वाले दिनों में आसमान साफ होने और बारिश के थमने का संदेश है।”

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