बढ़ती उम्र में लंबी वॉक क्यों बन सकती है सेहत के लिए नुकसानदेह!

जबलपुर। सुबह-शाम की सैर को भारतीय समाज में हमेशा से स्वस्थ जीवनशैली का आधार माना गया है। खासकर 50–60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग वॉक को अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या का अहम हिस्सा मानते हैं। टहलना आसान है, किसी उपकरण की जरूरत नहीं और इसका सीधा संबंध स्वास्थ्य से जुड़ा है। लेकिन क्या बढ़ती उम्र में लंबी वॉक करना हमेशा फायदेमंद होता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए रोज़ाना लगातार लंबी वॉक करना शरीर को मजबूत करने के बजाय और भी कमजोर कर सकता है। कठोर सतह पर लगातार 45 मिनट से ज्यादा चलना हड्डियों और मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे घुटनों में दर्द, टखनों पर दबाव और मांसपेशियों की कमजोरी तेजी से बढ़ सकती है।
क्यों लंबी वॉक से बढ़ता है खतरा
जोड़ों पर दबाव – उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की घनत्व और लचीलापन कम होता है। लंबे समय तक वॉक करने से घुटनों और टखनों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
मांसपेशियों की कमजोरी – सिर्फ वॉक पर निर्भर रहने से शरीर में स्ट्रेंथ और बैलेंस नहीं बढ़ता। धीरे-धीरे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं।
दर्द की समस्या – एक बार अगर घुटनों या मांसपेशियों में दर्द शुरू हो जाए तो इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।
सीमित लाभ – वॉक से कैलोरी बर्न तो होती है, लेकिन यह स्ट्रेंथ, बैलेंस और हड्डियों की मजबूती में पर्याप्त सुधार नहीं कर पाती।
वॉक करने का सही तरीका
सही वॉकिंग स्ट्रैटेजी अपनाकर बुजुर्ग लोग बिना नुकसान के इसके फायदे ले सकते हैं –
लंबी वॉक की बजाय छोटे हिस्सों में बांटें –
लगातार 45 मिनट वॉक करने के बजाय दिन में 3 बार 15–15 मिनट टहलें।
नाश्ते के बाद
दोपहर के खाने के बाद
रात के खाने के बाद
इससे न केवल पाचन बेहतर होता है बल्कि जोड़ों पर भी दबाव नहीं पड़ता।
हर दिन नहीं, हफ्ते में 3–4 दिन ही वॉक करें –
लगातार रोज़ाना लंबी वॉक करने की बजाय हफ्ते में सीमित दिनों तक करें। इससे शरीर को आराम मिलेगा और ओवरयूज़ इंजरी का खतरा भी कम होगा।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जोड़ें
रेजिस्टेंस बैंड एक्सरसाइज, हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या योगासन जैसे अभ्यास शामिल करना जरूरी है। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और उम्र से जुड़ी कमजोरी को धीमा करते हैं।
वॉकिंग निश्चित रूप से सेहतमंद जीवन का हिस्सा है, लेकिन 60 साल के बाद इसकी सीमा तय करना जरूरी है। बिना सोचे-समझे लंबी वॉक करने से फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों की राय मानें तो बुजुर्गों के लिए “स्मार्ट वॉकिंग स्ट्रैटेजी” अपनाना ही बेहतर है – यानी छोटी अवधि की वॉक, सीमित दिनों तक और साथ में स्ट्रेंथ एक्सरसाइज।
इसलिए अगर आपके माता-पिता रोज़ाना घंटों वॉक कर रहे हैं, तो अब समय है कि उनकी दिनचर्या में संतुलित बदलाव लाया जाए। सही एक्सरसाइज से बढ़ती उम्र में भी स्वस्थ, सक्रिय और ऊर्जावान जीवन संभव है।