“धर्म और अध्यात्म: आस्था से आत्म-खोज तक की यात्रा”

जबलपुर/संवाददाता।
धर्म और अध्यात्म अक्सर एक ही समझे जाते हैं, लेकिन दोनों की दिशा और दृष्टि अलग है। धर्म जहां संगठित आस्था और सामाजिक प्रणाली है, वहीं अध्यात्म व्यक्तिगत खोज और आत्म-साक्षात्कार की यात्रा है।
धर्म (Religion)
धर्म एक व्यवस्थित आचार-संहिता और विश्वासों का समूह है, जो प्रायः किसी ईश्वर या अलौकिक शक्ति पर आधारित होता है। यह बाह्य और सामुदायिक स्वरूप लिए हुए होता है, जो लोगों को नैतिक आचरण सिखाता है और समाज में स्थिरता लाता है। हिंदू धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
अध्यात्म (Spirituality)
इसके विपरीत, अध्यात्म व्यक्ति की अपनी आंतरिक खोज है। इसका केंद्र प्रश्न होता है– “मैं कौन हूँ?”। अध्यात्म धार्मिक क्रियाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि ध्यान, चिंतन और आत्म-अन्वेषण के माध्यम से जीवन के गहरे अर्थ और आंतरिक शांति की तलाश करता है।
मुख्य अंतर
धर्म बाहरी और संगठित है, जबकि अध्यात्म आंतरिक और व्यक्तिगत।
धर्म विश्वास और आचार पर आधारित है, अध्यात्म अनुभव और आत्म-खोज पर।
धर्म समुदाय से जुड़ता है, अध्यात्म व्यक्ति को स्वयं से जोड़ता है।
धर्म नियमों का पालन सिखाता है, अध्यात्म अन्वेषण और आत्म-विकास पर केंद्रित है।
👉 सरल शब्दों में कहें तो, धर्म हमें ईश्वर तक ले जाने का मार्ग दिखाता है, जबकि अध्यात्म हमें स्वयं को पहचानने की राह देता है।