देर से विवाह की प्रवृत्ति: परिवार और समाज के लिए चेतावनी”

“समय पर विवाह: स्वस्थ जीवन और मजबूत समाज की पहचान”

जबलपुर। आज की पीढ़ी करियर, आत्मनिर्भरता और आधुनिक जीवनशैली को सर्वोपरि मान रही है। इसका असर विवाह संस्था पर साफ दिखाई दे रहा है। जहाँ पहले 20–25 वर्ष की आयु शादी के लिए उपयुक्त मानी जाती थी, वहीं अब इससे अधिक उम्र में विवाह करना आम हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि देर से विवाह केवल व्यक्तिगत जीवन ही नहीं, बल्कि समाज की संरचना और संतुलन पर भी गहरा असर डाल रहा है।

विशेषज्ञों की राय

1. स्वास्थ्य विशेषज्ञ

स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार आदर्श उम्र से अधिक आयु में विवाह के कारण महिलाओं में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है और जटिलताएँ बढ़ जाती हैं। पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ घटती है, जिससे संतानोत्पत्ति कठिन हो सकती है।

2. समाजशास्त्री

समाजशास्त्रियों का कहना है कि देर से विवाह करने वाले दंपति में अक्सर समायोजन की दिक़्क़तें बढ़ जाती हैं। लंबे समय तक अकेले रहने से व्यक्ति की आदतें स्थिर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन में तालमेल बैठाना कठिन हो जाता है।

3. मनोवैज्ञानिक

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि देर से विवाह करने वाले लोग अपने हमउम्र साथियों को परिवार के साथ खुशहाल देखकर अक्सर अकेलापन और अवसाद (Depression) महसूस करते हैं।

🧑‍🤝‍🧑 व्यक्तिगत जीवन पर असर

संतानोत्पत्ति में कठिनाई – अधिक उम्र में विवाह से प्रजनन क्षमता घट जाती है, जिससे मातृत्व और पितृत्व दोनों चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं।

तनाव और थकान – देर से विवाह करने वाले दंपति को अधिक उम्र में ही बच्चों के पालन-पोषण का दबाव झेलना पड़ता है, जिससे मानसिक और शारीरिक बोझ बढ़ता है।

साथ का आनंद कम – युवावस्था में वैवाहिक जीवन का सुख सीमित हो जाता है।

समाज पर असर

परिवार की संरचना पर असर – देर से विवाह करने पर परिवार छोटा रह जाता है और पीढ़ियों के बीच का अंतराल बढ़ जाता है।

जनसंख्या संतुलन पर खतरा – बड़े पैमाने पर देर से विवाह से जन्म दर घटती है, जिससे समाज में जनसंख्या असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।

सामाजिक अकेलापन – देर से विवाह करने वाले व्यक्ति अक्सर अपने हमउम्र साथियों की तुलना में पारिवारिक आयोजनों और रिश्तों से कटाव महसूस करते हैं।

दीर्घकालिक परिणाम

बच्चों की शिक्षा पूरी होने तक माता-पिता वृद्धावस्था में पहुँच जाते हैं।युवावस्था में जीवनसाथी का साथ और आनंद सीमित हो जाता है।

विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि समाज का भी महत्वपूर्ण आधार है। देर से विवाह करने की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन इसे आदर्श मान लेना स्वास्थ्य, पारिवारिक संरचना और सामाजिक संतुलन – तीनों के लिए हानिकारक है। समय पर विवाह न सिर्फ जीवन को संतुलित बनाता है, बल्कि समाज को भी मजबूत करता है।

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