जबलपुर में गीता जयंती का भव्य आयोजन — सामूहिक पाठ, विचार एवं सम्मान के साथ मनाया गया पावन पर्व

जबलपुर। गीता जयंती के पावन अवसर पर गीता पराभक्ति मंडल एवं सिवनी ब्रम्ह समाज जबलपुर जबलपुर द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर, कमानिया गेट परिसर में एक दिव्य एवं भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गीता पराभक्ती मंडल के अध्यक्ष श्री विजेंद्र उपाध्याय ने की, वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री संतोष मिश्रा ‘असाधु’ उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक विष्णु सहस्रनाम एवं श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय के श्रद्धापूर्वक पाठ से हुई, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों, महिलाओं एवं पुरुषों ने मिलकर सहभागिता की। पाठ उपरांत बच्चों ने उत्साहपूर्वक गीता के श्लोकों का वाचन कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
इस अवसर पर वरिष्ठजनों ने गीता के महत्व, गीता जयंती के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक संदर्भों तथा जीवन में गीता के व्यावहारिक संदेशों पर विस्तृत विचार साझा किए। उपस्थित अतिथियों ने बताया कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाला ज्ञान-ग्रंथ है।
बच्चों में गीता के प्रति विशेष रुचि एवं सीखने की भावना को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप पारितोषिक भी प्रदान किए गए। इससे बच्चों में अपार उत्साह देखा गया।
उल्लेखनीय है कि गीता पराभक्ती मंडल, जबलपुर पिछले कई समय से प्रत्येक एकादशी पर गीता के श्लोकों का नियमित सामूहिक पाठ कर रहा है, जिससे समाज में धार्मिक चेतना और संस्कारों का प्रसार हो रहा है।
आज के कार्यक्रम में सर्वश्री पवन दुबे,अजय दुबे,रविंद्र अवस्थी,लेखराम दुबे, गोपाल मिश्रा, मोहन मिश्रा,सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए और धर्मलाभ अर्जित किया।
गीता जयंती क्यों मनाई जाती है
गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था। यह दिन उस अमर ज्ञान की स्मृति को समर्पित है, जिसने न केवल अर्जुन को धर्म मार्ग पर स्थापित किया, बल्कि सम्पूर्ण मानवता को जीवन जीने का अद्वितीय मार्गदर्शन दिया।
गीता जयंती का महत्व — जीवन के हर क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत
गीता मानव जीवन के कर्तव्य, धर्म, नैतिकता और आत्म-साक्षात्कार का सार प्रस्तुत करती है। बताती है कि मनुष्य को फल की आसक्ति छोड़कर निष्काम कर्म करना चाहिए।
गीता का संदेश जीवन के उतार–चढ़ाव में साहस, संतुलन और धैर्य प्रदान करता है।इसका अध्ययन मनुष्य को संवाद, विचार और निर्णय की क्षमता प्रदान करता है।गीता किसी एक धर्म, पंथ या समाज तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवजाति का सार्वभौमिक ज्ञान–ग्रंथ है।
इस आध्यात्मिक दिवस के निमित्त आयोजित कार्यक्रमों का उद्देश्य भी यही रहा कि समाज के हर वर्ग तक गीता का जीवनोपयोगी संदेश पहुँचे और युवा पीढ़ी में नैतिक संस्कारों का विकास हो।
गीता पराभक्ती मंडल — निरंतर साधना और संस्कारों का अभियान
उल्लेखनीय है कि गीता पराभक्ती मंडल, जबलपुर लंबे समय से प्रत्येक एकादशी को गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ कर रहा है। इससे समाज में आध्यात्मिक चेतना, एकता और सांस्कृतिक संस्कारों का संवर्धन हो रहा है।





