“चाट-चौपाटी: स्वाद की आड़ में समाज विरोधी षड्यंत्र?”

By – Ramanuj Tiwari 9827224600

समाज के बदलते स्वरूप में चाट-चौपाटी और स्ट्रीट फूड का चलन तेजी से बढ़ा है। कॉलेज के बाहर, बाज़ारों में, सड़कों के किनारे बनी यह चौपाटियाँ युवाओं की सबसे पसंदीदा जगह बन चुकी हैं। परंतु इसी लोकप्रियता के पीछे अब एक चिंताजनक पहलू भी सामने आ रहा है।

चौपाटियाँ बनीं आसान निशाना

शाम ढलते ही इन चाट-पकौड़ी के ठेलों पर भीड़ उमड़ पड़ती है, खासकर युवाओं और छात्राओं की। यहां का माहौल अनौपचारिक और खुला होता है, जिससे अजनबी आसानी से घुलमिल जाते हैं। कई जगहों पर देखा गया है कि कुछ असामाजिक तत्व धार्मिक पहचान छिपाकर युवतियों से मेलजोल बढ़ाते हैं और धीरे-धीरे उन्हें अपने जाल में फँसाने की कोशिश करते हैं।

‘लव जिहाद’ का नया रूप

यह बात सामने आई है कि चौपाटी और स्ट्रीट फूड पॉइंट्स को “पहली मुलाक़ात” और “संपर्क बनाने” का जरिया बनाया जा रहा है। दिखावे की दोस्ती, मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान, फिर सोशल मीडिया पर बातचीत और आखिरकार रिश्ते में फँसाने की कोशिश – यह क्रम आज के युवाओं को अंजाने खतरों की ओर धकेल रहा है।

बेटियों की सुरक्षा पर असर

माता-पिता दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों को शिक्षित और सुरक्षित भविष्य देना चाहते हैं, लेकिन यदि वे चौपाटियों पर लगातार समय बिताने लगें तो जोखिम बढ़ जाता है। सिर्फ स्वाद या मस्ती के लिए शुरू हुई आदत कब जीवन का संकट बन जाए, इसका अंदाज़ा तक नहीं लगता।

समाज और प्रशासन की ज़िम्मेदारी

स्थानीय प्रशासन को इन चौपाटियों पर निगरानी बढ़ानी चाहिए।

अभिभावकों को भी यह देखना होगा कि बच्चे कहां समय बिता रहे हैं।

समाज को जागरूक करना होगा कि लव जिहाद जैसे षड्यंत्र सिर्फ फिल्मों की कहानी नहीं बल्कि एक कठोर सच्चाई है।

लोक कल्याण का आह्वान

जरूरी है कि हम सतर्क रहें और अपनी आने वाली पीढ़ी को इस खतरे से बचाएँ। चौपाटियाँ महज़ स्वाद का अड्डा रहें, किसी भी तरह के षड्यंत्र का नहीं। युवतियों को भी सजग रहना होगा कि वे किसी अनजाने व्यक्ति की मीठी बातों या दोस्ती के जाल में न फँसें।
यह लेख लोक कल्याण के दृष्टिकोण से है, जिसका उद्देश्य समाज को जागरूक करना और बेटियों की सुरक्षा पर बल देना है।

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