क्या आदिवासी महिलाओं को मिलता है पिता की संपत्ति में अधिकार

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार से संबंधित एक फैसला दिया है. चलिए जानें कि क्या है ये और क्या आदिवासी महिलाओं को मिलता है पिता की संपत्ति में अधिकार मिलता है.

भारत में संपत्ति और उत्तराधिकार के नियम विभिन्न समुदायों और धर्मों के लिए अलग-अलग हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत गैर-आदिवासी हिंदू महिलाओं को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार मिलता है. लेकिन आदिवासी समुदायों के लिए यह अधिनियम लागू नहीं होता, क्योंकि अनुसूचित जनजातियों (ST) को इसकी धारा 2(2) के तहत छूट दी गई है. इसका मतलब है कि आदिवासी समुदायों में संपत्ति के बंटवारे के लिए उनके रीति-रिवाज और परंपराएं लागू होती हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या आदिवासी महिलाओं को संपत्ति में अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक उत्तराधिकारी से संबंधित विवाद में आदिवासी परिवार की महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार है. महिलाओं को उत्तराधिकार से वंचित करना अनुचित और भेदभावपूर्ण है. ये महिलाओं के समानता के अधिकार का उल्लंघन है हालांकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता है लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि आदिवासी महिलाओं का स्वत: ही उत्तराधिकार से वंचित कर दिया जाए.
लिंग के आधार पर संपत्ति में हिस्सा ना देना असंवैधानिक
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने उस मामले की सुनवाई की थी जिसमें एक छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी महिला के पैतृक संपत्ति में अधिकारिक मुहर लगाते हुए कहा कि आदिवासी महिला और उसके उत्तराधिकारी पैतृक संपत्ति में बराबरी के हिस्से के अधिकार हैं. एक आदिवासी महिला या उसके उत्तराधिकारियों को केवल लिंग के आधार पर संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार करना असंवैधानिक है.

कानून की तरह रीति रिवाज भी समय के बंधन में नहीं बंधे रह सकते. लिंग के आधार पर उत्तराधिकार के अधिकारों से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है. जो कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, केवल पुरुष उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार की अनुमति देने का कोई औचित्य नहीं है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले ने आदिवासी स्त्रियों को पैतृक संपत्ति में हकदार बना दिया है.

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