“कमजोर परफार्मेंस वाले कलेक्टरों पर सरकार की नजर, हो सकता है बड़ा फेरबदल”

भोपाल, संवाददाता।
मध्य प्रदेश में फिर प्रशासनिक सर्जरी के संकेत मिल रहे हैं। मुख्य सचिव अनुराग जैन को सेवा विस्तार मिलने के बाद अब सरकार कमजोर प्रदर्शन करने वाले कलेक्टरों और निष्क्रिय विभागीय अधिकारियों पर सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि इसी माह के पहले सप्ताह में नई पदस्थापना आदेश जारी हो सकते हैं। इस बार बदलाव की आंच एक दर्जन से अधिक जिलों तक पहुंच सकती है।

युवा अधिकारियों को मिलेगी नई जिम्मेदारी

सरकार का रुख स्पष्ट है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले और ऊर्जावान युवा अधिकारियों को नए अवसर दिए जाएंगे। वहीं, लंबे समय से पदों पर जमे और अपेक्षित परिणाम नहीं देने वाले कलेक्टरों को हटाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि कई जिलों के जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों के कलेक्टरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, जिनकी समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है।

कई अहम पद लंबे समय से खाली

राज्य के कई जिलों में स्थिति यह है कि अहम पद महीनों से खाली पड़े हैं और कार्यवाहियों का जिम्मा प्रभारी अधिकारियों पर है। उज्जैन में एडिशनल कमिश्नर रत्नाकर झा पिछले एक माह से प्रभारी कमिश्नर के तौर पर काम संभाल रहे हैं। वहीं, संभागायुक्त संजय गुप्ता के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां किसी अधिकारी की स्थायी पदस्थापना अब तक नहीं हो सकी है। इसी तरह कई जिलों में जिला पंचायत सीईओ के पद भी खाली पड़े हैं।

इंदौर और उज्जैन में बड़ा बदलाव संभव

सूत्रों के अनुसार इंदौर को जल्द ही नया कलेक्टर मिल सकता है। वर्तमान कलेक्टर आशीष सिंह को उज्जैन का संभागायुक्त बनाए जाने की चर्चा है। वहीं, जिन जिलों में कलेक्टरों की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं रही, वहां नए अफसरों की पदस्थापना पर विचार किया जा रहा है।

सितंबर में साफ होगी तस्वीर

प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि सितंबर कई अफसरों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। एक ओर जहां नई नियुक्तियों से ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा, वहीं परफार्मेंस में पिछड़ने वाले कलेक्टरों को बदलना सरकार के संकल्प का संकेत माना जा रहा है।

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